( तर्ज - तू तो उडता पंछी यार ० )
खोजो घटके अंदर यार !
तुम्हारा रूप सदा दिलदार ॥ टेक ॥
इस दुनियामें क्यों भूले हो ,
नाहक बने गँवार ? ।
कर अपनी पहिचान गुरूसे ,
पूछो इसका सार ॥ १ ॥
' सबमें ईश्वर समा रहा है '
बेदनका आधार
कैसे उसको भूल गये हो ?
लगा लिया संसार || २ ||
मानुज जन्म मिला इसहीको ,
कहते ऋषी पुकार ।
विषाय - जालमें क्यों भूले हो ?
पाओगे जमद्वार || ३ ||
तुकड्यास कहे हक यह है ,
आतम - ग्यान पियार
उसपर अमल करो दमदममे ,
होगा बेडा पार ॥ ४ ॥
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