( तर्ज - नीरंजन माला घटमें ० )
घटका पट खोलो ,
फेर सुधी लीजिये ॥ टेक ॥
मैलनसे सब पट बूझे हैं ,
उन्हे सफा कीजिये ।
चित्त शुद्ध कर कर्मनके सँग ,
नामको ले रीझिये ।। १ ।।
सत्संगतका बोध उठाकर ,
अमृतको पीजिये ।
मस्त नशा छाओ घट अपने ,
उसकी धुन कीजिये ॥ २ ॥
जिवन - कला संगममें न्हाकर ,
अमर होय रहिये ।
तुकड्यादास कहे सद्गुरुको ,
पूछ भरम तजिये ॥३ ॥
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