( तर्ज- मेरी सूरत गगनमों ० )
ताब किसका न चलता
गढीके उपर ।
गढीके उपर
एक तेरी सफर || टेक ||
चौदा भुवन देखा तेरा ठिकाना ,
पर कौन जाने न जाने उधर ॥१ ॥
मायाकी बिजलीमें सब भूल पाये ,
अंदरके मंदिरको परदे जबर ॥२ ॥
साच हिरा कोई बिरला पछाने ,
सत् - संगतीमें जो पावे सबर ॥३ ॥
बिन गुरुकिरपाके मारग नाहीं ,
साधूके सेवक ही पावे खबर ॥ ४ ॥
मिली जागिरी दास तुकड्याको तेरी
तुम्हारे सहारे तुम्हें खोजकर ॥५ ॥
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