( तर्ज - वारी जाऊँरे साँवरिया ० )
भाई ! मनमों धरलो धीर , सुजानो !
राम गाओ रे ॥टेक ॥
त्याग करो दुर्गुणका तनसे ,
निर्मल हो जाओ चितमनसे ।
प्रेम धरो हरिका मनमें ,
दिल श्याम भावो रे ॥ १ ॥
गया बखत फिरके नहि आवे
आगे जमका दंड सहावे
अभी रोक विषयनको जा
सत्-संग ध्याओ रे || २ ||
क्षण क्षण चंचल माया भाई
शांत न कभु दिल इससे होई
तुकड्यादास कहे भज
भजके पार जाओ रे || ३ ||
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