( तर्ज - जिंदगी सुधार बढ़ ! यहाँ तेरो ० )
यार ! कब मिलोगे हमसे?
जी नही रहात है || टेक ||
साँस - साँसकी झनकारी ,
फिक्रमे तुम्हार जारी ।
पलक पलक चढ़ती तारी ,
आयु व्यर्थ जात है।॥१ ॥
हो रही दिवानी नना ,
चैन नहीं कदम उठाना ।
लाग रही झडियाँ तुम्हरी ,
सुने न यह बात है || २ ||
क्या किसे पता चलजावे ,
पासमें न ऐसा पावे ।
साखि हो तुम्ही तो सबके
क्यों हमें सतात है ? ॥३ ॥
अब न ढेर करिये थोरी ,
आयके मिलो मुरारी ! ।
तुकड्याकी प्रेम - तारी ,
दुजा ना निभात है || ४ ||
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा