( तर्ज - ईश्वरको जान बंदे ० )
चल खोल नैन भाई !
सिर काल वह खड़ा है ।
सबको पकड रहा है ,
तेरेलिये अडा है || टेक ||
जो पाप - कर्म साधे ,
उनकेहि कर्म बाँधे ।
कर अंतकाल अंधे ,
दुख देत वह बडा है ।। १ ।।
गुरुके चरणमें जाओ ,
फिर सत्य सुखहि पाओ ।
मुख रामनाम गाओ ,
तो ना करे लढ़ा है ॥ २ ॥
दुनियाका होश नाही ,
पापीको पाप पाई ।
सच्चा प्रभू मिलाई ,
रख ख्याल यह धडा है ॥ ३ ॥
तुकड्या कहे दिवाने !
हुशियार हो जगतसे ।
कोई न साथ आवे ,
क्यों भूलमें पड़ा है ? ॥४ ॥
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