( तर्ज - मेरो प्रभू झूला झुले घरमाँही ० )
हरदम साक्षी रहो मेरे भाई ! ।
मत भूल खाओ ,
करलो भलाई॥टेक ॥
तीरथ , मंदर , मसजिद ,
कुटिया , एक हिकी उजराई ।
दूजा यहाँ कौन ? किसने बनाया ?
सब प्रभुकी प्रभुताई ||१||
प्रभु एक नटनागर है जगत्में ,
उसिने ये खेल खिलाई ।
जो कुछ होवे , समझ दूर होके ,
मत छू यह मनमें समाई || २ ||
राजा वही और वहि है भिखारी ,
उसिने यह रचना बनाई ।
कहे दास तुकड्या , भूलो न दिलसे ,
रहो प्रभु - प्रेम लगाई || ३ ||
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