( तर्ज अब तुम दया करो महायज ० ) '
दिलका मैल सफा कर लेना '
सबने यही
भजन बोला है || टेक ||
जिव जनममरण दुख पाया ,
नहि आतमग्यान कमाया ।
यह मनुज जनम है पाया जी ,
संतोने इसे तोला है || १ ||
सत्संग ग्यान फल पाना ,
प्रभुसे फिर प्रीत लगाना ।
नेकिसे गुजर कर जाना जी ,
तभि पार लगे चोला है || २ ||
सत्शास्त्र मान परमाना ,
बस अमल वही कर जाना ।
फिर टूटे आना - जाना जी ,
सोहँका पट खोला है || ३ ||
सोहँकी तारी लागी ,
जिव - शीव भिन्नता भागी ।
तुकड्या कहे रहत निसंगी जी ,
हर श्वास श्वास डोला है || ४ ||
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा