( तर्ज - मानले कहना हमारा ० )
नाथके दर्शन बिना ,
नरजन्म सारा फोल है || टेक ||
क्या हुआ तीरथ गया ?
अरु क्या हुआ मूरत पुजां ? ।
प्रेम नहि दिलमें जरा ,
खोया बखत अनमोल है ॥ १ ॥
वस्तुएँ सारे जगतकी ,
मोहनी - सी देख लीं ।
पर ना प्रभू - दर्शन किया ,
तकदीरपर क्या बोल है ? ॥२ ॥
चार दिनकी जिंदगी ,
खोई जवानी - शौक में ।
सब इंद्रियाँ ढीली परी ,
सब खो दिया तन - तोल है ॥३ ॥
जन्म यह अनमोल सा ,
मत खो कभी नर ! मान तू ।
कहत तुकड्या भज गुरू ,
खुल जायगी घट - भूल है ॥४ ॥
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