( तर्ज - भले वेदांत पछाने हो ० )
धुंदी छोड़ अभी प्यारे !
बडा सिर खडा काल तेरे || टेक ||
सदा खुशीमें रहता है पर ,
उसपर ख्याल न कीन्हा ।
एकदिन झपट मार ले जावे ,
भूलहि जाय ठिकाना || १ ||
जानो सपना जग यह अपना ,
रामहि आवे साथी ।
झूठ पसारा लेकर सिरपे
क्यों करता है माती ? ॥२ ॥
किसकी तिरिया किसका धन है ,
किसका लडका लडकी ?
सब स्वारथके साथी भाई ।
आखिर होवे खुडकी ॥ ३ ॥
कहता तुकड्यादास गुरूका ,
होकर करो गुजारा
आतमग्यान करो तनमाँही
जभी लगेगा थारा || ४ ||
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