( तर्ज - लगा ले प्रेम ईश्वरसे ० )
कहो कैसे रहें जगमें ?
बिकट यह काल आया है ।
बडा मुश्कीलसे रहना ,
हमें नहि यार ! भाया है ॥ टेक ॥
कोई कहते ' धरम खोजो ,
हटाकर और बातोंको ' ।
कोई तो ‘ धर्म यह झूठा '
खबर दुनियामें लाया है ॥१ ॥
कोई कहते ' बनो हिंदू कोई '
इस्लाम हो ' बोले ।
हजारो पंथ दुनियामें ,
बनाया है छुपाया है ॥ २ ॥
कोई कहते ' समय देखो ,
करो सब लोगका मेला ' ।
कोई कहते ' न बन सकता
अँधेरा वह उजारा है ' ॥ ३ ॥
कई हैं संत - मत जगमें ,
कई तो भोंदु बहलाते ।
वह तुकड्यादास कहता है ,
अजब यह नाथ ! माया है ॥ ४ ॥
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