( तर्ज - लगा ले प्रेम ईश्वरसे ० )
बना सत् - संग यह अंजन ,
कोई भी आँखमें भर लो ।
खुला लो पट जुदाईके ,
खुशी हो तो यही कर लो ॥टेक ॥
न दुनियामें दुजा कोई ,
बतावे धन यह आतमका ।
वही मशहूर बूटी है ,
खुशी हो तो अमल कर लो ॥ १ ॥
हरामी साँप जहरीले ,
टपे है काम - मद द्रोही ।
लुबाड़े जान जीवोंकी ,
खुशी हो तो कदर कर लो ॥ २ ॥
जगतमें धन समाया है ,
बिना गुरुके न पाया है
उसीने खोज लाया है ,
खुशी हो तो उसे घर लो || ३ ||
करो निष्काम सत - संगत ,
बढाओ ग्यानकी तारी ।
वह तुकड्यादास कहता है ,
काल - घर फेरके हर लो ॥ ४ ॥
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