( तर्ज - क्यों नहीं देते हो दर्शन ० )
दिन चले बीते हैं सारे ,
कब मिलोगे दासका ? ||टेक||
चैन ना पडती हमें ,
तेरे दरसबिन पल - घडी ।
आँखियाँ तरसा रही ,
तुम कब मिलोगे दासको ? || १ ||
वस्तु दुनियाकी रसीली ,
सुन्न सब दिखती मुझे ।
बस लौ सदा है एकही ,
तुम कब मिलोगे दासको ? || २ ||
गा रही है गीत मैना ,
बागकी हरियालिमें ।
ना मुझे मीठा लगे ,
तुम कब मिलोगे दासको ? || ३ ||
कहत तुकड्या नाचता है ,
मोर बनमें रंगसे ।
भाता नहीं दिलको जरा ,
तुम कब मिलोगे दासको ? || ४ ||
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