( तर्ज - मानले कहना हमारा ० )
कर पता घरका गडी !
पर घर कहाँ है ढूँढता ? ॥टेक ॥
देख तो अजपा चली ,
सोहँ उच्चारोंसे खुली ।
ख्याल तो दे दे जरा ,
क्यों मोह माया गूँडता ? ॥१ ॥
जीव शिव हैं तनकेमाँही ,
एक कर निज ग्यान पाई ।
छोड दे उनकी दुआई ,
गुरु - कृपा क्यों छोड़ता ? ॥२ ॥
बाज अनहदका बनाया ,
सूर बंसीसम भराया ।
ख्याल क्यों यह दौडता ?
कौन है इसका बतैया || ३ ||
रोशनीका है उजारा ,
बिन सुरज और चाँद तारा ।
कहत तुकड्या खोज कर ,
नरदेह क्योंकर मूँडता ? ॥४ ॥
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