( तर्ज - लगा ले प्रेम ईश्वरसे ० )
मरण - जीना तनूको है ,
आतमा है सदा न्यारा ।
न उसको बाध है कोई ,
सकलं उसकाहि उजियारा ॥टेक ॥ समझकर खूब यह दिलमें ,
धर्मके मर्म रख जीते ।
अगर कट जायगा उसमें ,
तभी तेरा न कुछ हारा ॥ १ ॥
लडे अर्जून जब रणमें ,
विमोहित देखकर मनमें
बताया ग्यान भगवनने ,
गिताकी टेर सुन सारा ॥२ ॥
जिवनभी इस तरहही है ,
रणांगण लाभ - हानीका ।
वह तुकड्यादास कहता है ,
न्यायसे सत्य कर प्यारा ॥३ ॥
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