( तर्ज- अब तुम दया करो महादेवजी ० )
जप जाओ हरिके नाम ,
दूजो साधन कलिमें नाही ॥ टेक ॥
मीठा है जनम हमारा ,
बिन नामके पशु - सम हारा ।
जो करे भजनसे प्याराजी ,
उसको फिर धोखा नाही ॥
सत् - जुगके योग नियारे ,
कलिमें है नाम पियारे ! ' ।
यह संत - जबान पुकारेजी ,
विश्वास करो उनमाँ ही ॥२ ॥
नेकीसे जगमें जीओ ,
मन पाक कराकर छीओ ।
बस रामनाम मुख गाओजी ,
फिर दूजो मारग नाही ॥३ ॥
हो संतसाधुकी सेवा ,
उनका सिर बचन उठावा ।
कहे तुकड्या टूटत आवा जी ,
फिर दुःख जिवनमें नाही ॥४ ॥
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