( तर्ज - लिजो लिजो खबरीया ० )
नरतन पाई जतन कर ,
मान बदे !
अवसर फेर नहीं ,
दिलमें जान बंदे ! ॥टेक ॥
क्यों गमाते झूठमे
पापों उठायकर
जाओगे जमद्वार ,
तुम्हें क्या नहीं खबर ? ।
भजले भजले तू हरि
धरले ध्यान बंदे ! ॥१ ॥
करनिके फल पायगा ,
यह याद रख जरा ।
खबर ले इस बातकी ,
क्यों भूलमें परा ? ।
बिन सत् - संग ना उद्धरे
प्राण बदे ! ॥२ ॥
दम सुना मत खो कभी ,
चल राह नेकसे
कर न बुराई कभी ,
यह पूछले जी से ।
तुकड्या कहे रे !
रट हरि - नाम बंदे ! ॥३ ॥
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