( तर्ज - ईश्वरको जान बंदे ० )
मायामों सब भरा है ,
मायाने सब करा है ।
मायाको जान जावे ,
वहि संत भी तरा है ॥ टेक ॥
मायाका यह बगीचा ,
तरु - फूल - फलभि सोहे ।
दिखता है जो नजरसे ,
उसमें सभी भरा है ।। १ ।।
कइँ साधुको बनाया ,
कइँ भोंदुको जमाया ।
पुन - पापभी लगाया ,
अरु न्याय भी धरा है ॥२ ॥
खुदही नटी है माया ,
सत्ता प्रभूकि लेकर ।
तुकड्या कहे यह जाने ,
वहि जागता मरा है ।। ३ ।।
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