( तर्ज - ईश्वरको जान बंदे ० )
मस्तोंके मस्त वेही ,
जो मस्तिमें समाई ।
बिन मस्तिके न कोई ,
उनको खबर चलाई ॥ टेक ॥
धन - जनको दूर सारा ,
तिरियाको ना अधारा ।
प्यारे में दिलको हारा ,
बूरी बला दबाई ॥ १ ॥
चलते हैं मस्तिमाँही ;
सोते - पितेभि वहँही ।
पर्वा न कुछ कहाँकी ,
जाने न दूज कोई ॥२ ॥
राजा न रेक माने ,
है नाममें दिवाने
तुकड्या कहें ये बातें ,
पाई उल्ले छिपाई ॥३ ॥
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा