( तर्ज - भक्तन के संग ० )
किसे छिपा है । नाम तेरा |
भक्तनके संग काम करा || टेक ||
दिखने को तो पंढरपुर में ,
पर दृष्टी तेरी घर घरमें ॥
छिपा न तुझसे कुछभी भगवन ।
दिल कैसे है भला बुरा ॥
किसे ० ॥ १ ॥
दुनिया चाहे बाहर देखे ,
तू तो सबके दिलको परखे ॥
जिनकी श्रद्धा - भक्ती सही है ,
उनके हाकपे जात परा ।
किसे ० ॥ २ ॥
जिसने सत की नीयत राखी ।
उन भक्तों की रख ली साकी ||
तुकड्यादास कहे क्या गावे ,
पत्थर को भी दिया तरा |
किसे ० ।। ३ ।।
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा