( तर्ज- मेरे मन की गंगा ० )
भारत देश हमारा ,
सारे जग का प्यारा हो
बोल इसकी धारा ,
मनमें भाई को नहीं ? ॥ टेक ॥
सबने मिलकर काम उठाना ,
खेती - उद्योगों के ।
आय का बटवारा करना ,
कष्ट फले लोगों के ।
भाई चारे का नारा ,
बच्चा बच्चा प्यारा हो ,
बोल इसकी धारा ० ॥ १ ॥
किसकी जाती ? किसके पंथी ?
हम सब भारतवासी ।
जैसा जिसका हाथ जमेगा ,
वह उसका अभिलाषी ।।
इज्जत सबकी एक ,
दिखने हि अनेक हो ,
बोल इसकी धारा ० ॥ २ ॥
सब तीरथ - मस्जिद - गिर्जाघर ,
एकहि सत्य बताते ।
बेदों से लेकर के सारे ,
ग्रंथ पंथ यहि गाते ॥
डरो न धसकाने से हटो
न मर जाने से भी ,
बोल इसकी धारा ० ॥ ३ ॥
बच्चा बच्चा वीर यहाँ का ,
लडता है औ बढता ।
तुकड्यादास कहे पर हित को ,
बलि वेदी पर चढता ॥
त्यागहि इसका बाना ,
प्रेमहि इसका गाना है ,
बोल इसकी धारा ॥ ४ ॥
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