( तर्ज :मै एक छोटासा बच्चा हूँ )
किसका मुख देखा बडी सुबह ?
मिला न खाना आज ।
गया दिन भूखभरा || टेक ||
एक मिला था धुंद शराबी ,
सुधरा सा लगता था ।
बकता था गाली , नाली से ,
मरा हुआ जीता था ।
मुख में थी महिखयाँ , उडलाती ,
बदबू भी थी चलती ।
गया दिन भूखभरा ॥१ ॥
एक मिला था गुण्ड खूनेरा ,
क्रूर था उसका चेहरा ।
चारा हटे नहि मारग में से ,
घबडाया जी मेरा ।
छाती धडक उठी , हुआ तुफान ,
लगा ' बचा भगवान ! '
गया दिन भूखभरा ॥ २ ॥
एक मिला उल्लू का पट्टा ,
परस्त्री ले घूमता था ।
बड़ा जुआरी , चोर , घमण्डी ,
धन से ही झुमता था ।
छुरी हाथ में थी , आँख चढी ,
पास न छोडे कौडी ।
गया दिन भूखभरा ॥३ ॥
एक मिला साधु के भेष मे ,
जनता को लुटता था ।
तुकडयावास कहे फिर - फिरसे '
फिचर ' अंक रटता था ।
खाली घर मे वह घुस जाये ,
माता को बहकाये ।
गया दिन भुखभरा ॥४ ॥
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