( तर्ज - मुसाफिर जागते रहना ० )
अरे ! तैयार हो जाओ ,
जमाने का पुकारा है । ॥ टेक ॥
समय आया वही आगे ,
न किसीका भी सहारा है ।
खडे हो जाओ अपने बल ,
मिलेगा तब किनारा है ॥ १ ॥
जो हिम्मत छोडके भागे ,
उसे कायर कहावेंगे ।
न डरता मौत को अपनी ,
चही साथी हमारा है ॥ २ ॥
खुशी है देशकी जिसको ,
उसीपर प्रेस भारत का !
चढाओ फूल की माला ,
लगे घर - घर नारा है ॥ ३ ॥
बखत गम से निकल जावे ,
तो धोखा ही खडा होगा ।
वह तुकडचादास कहता है ,
अनुभव यह हमारा है ॥ ४ ॥
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