( तर्ज - पहिली मुलाकात है )
तीरथ करनेको आया ,
साथ लिया सारी माया ।
औरत , लडके , लडकी पैसा ,
छातीसेही लिपटाया || टेक ||
घर ढूंढत है रहनेको ,
दुकान खाने पीनेको ।
अच्छा कमरा सोनेको
और एक गवैया गानेको ।
साबून तेल सुगंधी ले ,
गंगामे मलमल न्हाया ॥
औरत ॥ १ ॥
पान सुपारी खाता है ,
जहाँ वहाँ पिचकाता है ।
हसी मस्करी करता है
और हर पल आँख मुडाता है ।
फिर जाता है दर्शन को ,
जरा न दिल में पछताया ।
औरत || २ ||
पंडाको गाली देता ,
साधूका गुस्सा करता ।
हीन दीन कहीं भिक्षा माँगे ,
भलती डाँट सुना देता ।।
मन्दर में ध्यान किया ,
खडे खडे फुल फेक दिया ||
औरत ॥३ ॥
सत् संगत नहीं पान करे ,
झुकके नही सलाम करे ।
दान करे ना नेम करे ,
भक्ती करे , ना प्रेम करे ।
तुकड्यादास कहे ऐसोंका ,
क्या करता तीरथ भैया ।
औरत ॥ ४ ॥
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