( तर्ज - एक दो तीन चार ... )
नेक रहो मेरे यार !
तब तो होगा बेडा पार ।
झूठी है जिन्दगी ,
साथ करी बन्दगी ;
पाओगे सत् का आधार ॥ टेक ॥
पापभी करना , मन्दर मरना ।
अपनी बडाई दुनिया में धरना ।।
यह कैसे होगा ? कहो कैसे होगा ?
जब कि होगा न ईश्वर से प्यार ॥ १ ॥
हाथों में माला , दिल में है काला ।
जो आये उसको चसा औ डाला ॥
है बात प्यारी , लेकीन है छूरी ,
तब तो जाओगे जम के दुआर ॥ २ ॥
प्रभु - नाम गाऊँ , दिल से रिझाऊँ ।
कहता है तुकड्या मैं बैकुण्ठ जाऊँ |
सुनो मेरी बात , रहो साधुओंके साथ
तब तो सारा हि होगा सुधार || ३ ||
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