( तर्ज - हरिका नाम सुमर नर प्यारे ० )
डूब रहा है मानव धन ये ,
दिन - दिन कृत्रिम होकरके ।
आतताई - सा रहने लगता ,
पेट मसाला भर - भरके ! ||टेक||
अस्तव्यस्त है खाना - पीना ,
रहना , सोना , प्रवास भी ।
शान्ति कहाँसे पावे तनमें ,
प्राकृत नहिं मिलता कुछ भी ॥
इन्द्रिय लोलुपता के पीछे ,
मन भगता फिर तन भगता ।
पडता झडता डरता करता
रहता है सारी सजता ॥
क्या करता हूँ , समझ नहीं है ,
भगनेके मारे इसको ।
साथी भी वैसे ही मिलते ,
दवा- पानि लेलो - खसको ! ॥
पैसा - पैसा हुआ है सबमें ,
जैसा ब्रह्म सभीमें है ।
उससे खींचातानी होती ,
सारा काम कमी में है ॥
अतीधुन्द - सा भाग रहा है ,
जीवन करमें धर करके
आततायी - सा रहने लगता ,
पेट मसाला भर - भरके ॥ १ ॥
बिगडा जनवर , मार - मारकर
उसे ठिकाने लाना है ।
वैसी सुईयां टोच - टोचकर ,
इसका स्वास्थ्य जमाना है ।
होगा क्या नहीं होगा जाने ,
डॉक्टर- वैद्य - कम्पनियाँ |
वो तो होगया आशक इनपर
गोली खिलाके है बनियाँ !
झटपट सुधरो , पथ्य न बोलो ,
सुई लगाओ लो पैसा !
चलते ही में ठोक बनूं ,
मुझे काम पड़ा भारी वैसा |
डॉक्टर भी अब बन रहे ऐसे ,
बिन जानेही देते सुई ।
थर्मामिटर मालूम नहीं है ,
ऐसे रोगी मरे कई
जहां - वहाँ कॉलेज खोल दो ,
अर्ज भरो सरसर करके ।
आतताई - सा रहने लगता ,
पेट मसाला भर भरके ॥ २ ॥
मगर देखना है ऐसा ,
क्या मानव - जीवन ठीक चला ?
चलते - फिरते देखो सबको ,
लगता टी . बी . द्वार खुला ॥
महारोग की बढ़ती भारी ,
परमा - खुजली पीली है ।
लाल - लाल है नैन युवक के ,
आंबे , मुँहपर काली है ॥
वात - पित्त के उगले चट्टे ,
अंग बना सब खोका है ।
शक्ति नहीं , ना तेज बदनपर ,
मरनेका ही धोखा है ।
सायकल मोटारोंपर दिखते ,
जैसे बन्दर भगते है ।
होश नहीं बाते करनेकी ,
पलपल में ही भडकते हैं ।।
शासक कहते , दवा पिलाओ ,
हर खेडे में जाकरके ।
आतताई - सा रहने लगता ,
पेट मसाला भर - भर के ॥ ३ ॥
मुझको लगता नैसर्गिक ही ,
हो उपचार सुधरनेको ।
करो उपोषण बाँधो पट्टी ,
मिट्टी से ठिक करनेको ॥
रसाहार और उबली सब्जी
से हो सब कुछ चलता है ।
सारे व्यसन छूट जाते हैं ,
अनुभव से सुख मिलता है ।
बडी औषधी , जल - मिट्टी
और सूर्यप्रकाश की शक्ति है ।
घर - घर में हो सकती दवाई ,
सब रोगोंकी मुक्ति है ।
उरली - कांचनमें ही मैंने
देखा अनुभव लेकर के ।
मुझको तो सुख रहा यहाँपर ,
दस दिन पानीपर रहके ||
तुकड्यादास कहे रहनेमे ,
नियम सिखाओ जी - भरके ।
आततायी - सा रहने लगता ,
पेट मसाला भर - भरके ॥४ ॥
टिप्पण्या
टिप्पणी पोस्ट करा