( तर्ज - श्याम सुंदरकी मीठी लगी )
चाहिए प्रेम ही, फिर तो किसकी कमी
दिखती दो किसका नाम ,
हम भी लेते हमी || टेक ||
दिखती जिसके बदनपर प्रभूकी छटा
बांके दर्शनसे जाता है पातक हटा
मै तो यह ना कहूँ बात है लाजबी ॥ १ ॥
सदा संत संगतसे न्हाया कोई ।
उसके जीवनको कबहूँ भी धोखा नहीं ।।
मै तो दिलसे कहूँ ,
नम्र है आदमी ॥ २ ॥
ऐ मेरे प्रेमीयों प्रेम तो सीखलो ।
मजा क्या है इसीमें , जरा देख लो ॥
दास तुकड्याने पाया
निशाना यही ॥ ३ ॥
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