( वर्ज - परदेसिया मेरो जॅखियाँ ... )
किसीसे कहेंगे अपने ,
सुखदुःख सारे ?
कौन सुने आह मेरी ,
बिनाही तुम्हारे ? || टेक ||
दुनिया तो मतलब की है ,
स्वार्थ नहीं छोड़े ।
मरेको भो मारती है ,
गरजको ही जोडे ।
दिखा ना उदार कोई ,
दूसरा निहारे ॥ कौन ० ॥ १ ॥
कदम जहाँ डालता हूँ ,
कापता हूँ पैर में ।
बात जहाँ बोलता हूँ ,
बिगड जाती जोर में ।
दिल है अनाडीसा मेरा ,
पेटके सहारे कौन ० ॥ २ ॥
जहाँ देखता हूँ ,
मेरी मौतही बुलाती ।
भले संतसंग करलूं ,
स्थिरता न भाती ।
कहे दास तुकड्या प्यारे !
हाथ दे उबारे ॥ कौन ० ॥ ३ ॥
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