( तर्ज बाबा ! सबसे मीठा बोल . )
बाबा ! सबसे बर्तो प्यार || टेक ||
सारा मानव प्रभुके घरका ,
कोई नहीं है अपने सरिखा ।
वही नचावे नस - नस सबकी ,
दूजा कौन अधार ? ॥ बाबा ॥ १ ॥
अपने बलपर हम सब करते ,
तब काहेको बिचमें मरते ?
दवा - दारू लेके नहीं सुधरे ,
लाखों की है पुकार ! ॥ बाबा ॥ २ ॥
अपनी बुद्धी सब कोई छोडो ,
प्रभुनाम में संगति जोडो ।
तुकड्यादास कहे तब समझो ,
नैया तरी मँझधार ॥ बाबा ॥ ३ ॥
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