( तर्ज - ज्योत से ज्योत जगाते चलो . )
शिक्षा धरम की सिखाते चलो ।
प्रेमसे बच्चे झुकाते चलो ! || टेक ||
नहिं तो जमाना बदल चला है ,
हाथ नहीं आवेगा ।
बच्चा जबके युवक बनेगा ,
टेढा बन जावेगा ।
संतों का जीवन दिखाते चलो ॥
प्रेमसे बच्चे ॥१ ॥
राम का ' रामायण ' तुलसी का ,
कृष्णचन्द्र की ' गीता ' ।
समरथ का है ' दासबोध '
और तुकाराम की ' गाथा ' ।
व्यसनों से उनको हटाते चलो ॥
प्रेमसे बच्चे ॥ २ ॥
देशकी सेवा , जीवन सादा ,
कष्ट करे तन - मनसे ।
प्रभु - भजनों में लगाते चलो ॥
प्रेमसे बच्चे ॥ ३ ॥
ऐसा करनेसे ही बचेगा ,
भारत भारतियों का ।
नहीं तो धरम - करम जावेगा ,
कहे तुकडया है धोखा ।
गुरूओं की बानी लिखाते चलो ॥
प्रेमसे बच्चे ॥ ४ ॥
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