( तर्ज चाहूंगा मैं तुझे साँझ सवेरे . )
देखूंगा कैसे नजारा तुम्हारा ?
सबके भरा है दिलमै उजारा ।
मैं भी तो पा सकूंगा ,
मैं भी तो पा सकूँगा | देखूं ॥ टेक ॥
साधन करके , योग चढाऊ ,
ध्यान लगाऊँ , गाऊँ बजाऊँ ।
तू जहाँ मैं वहाँ , लेलूं समाधान |
मैं भी तो पा सकूंगा ,
मैं भी तो पा सकूंगा ॥ देखूं ॥ १ ॥
भक्त पुकारे , मंदर द्वारे ,
नाचके मीरा , तन - मन हारे ।
प्रीत वो , नीत वो , तेरा धरू सहारा ।
मैं भी तो पास पा सकूंगा ,
मैं भी तो पा सकूंगा ॥देखूं ॥२ ॥
सूरदासने फोडी आँखे ,
तुझको पाया प्रीत रिझाके ।
धरा हाथ , करी बात ,
कर दिया पार ।
मैं भी तो पा सकूंगा ,
मैं भी तो पा सकूंगा ||
देखूं ॥ ३ ॥
तुकडया कहता , नाम अधारा ,
संत पुकारे , बारम्बारा ।
निर्धार , यही सार , भवको बिसार ।
मैं भी तो पा सकूंगा ,
मैं भी तो पा सकूंगा ॥ देखूं ॥ ४ ॥
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