( तर्ज- चाहूंगा मैं तुझे सांझ सबेरे )
नाचूंगा मैं भी प्रभूके भजनमें ,
जाहीर होकर बोलू सजन में ।
अभिमान खोके सारा ,
अभिमान खोके सारा ॥ टेक ॥
होकर दिवाना , दूखूं जमाना ,
आँखोमें भर दूं , प्रभु का निशाना
चढे तार , बेडापार , रंगू रंगमें ।
अभिमान खोके सारा ,
अभिमान खोके सारा ॥१ ॥
तूही तो धन है , तूही तो मन है ,
तेरे बचन ही , मेरा भजन है ।
तेरा प्यार , मेरा सार , भरूं अंगमे । अभिमान खोके सारा ,
अभिमान खोके सारा ॥२ ||
चारों दिशामें तेरी ही सूरत ,
जहाँ देखता हूँ तेरी ही मूरत ।
जपूं माल , घुले तार , टुटे जाल ।
अभिमान खोके सारा ,
अभिमान खोके सारा ॥३ ॥
तुकडयाको जिसने ये राह बोला ,
उनकी दयासे पाया उबेला ।
तेरा नाम , मेरा काम , पाऊँ अराम ।
अभिमान खोके सारा ,
अभिमान खोके सारा || ४ ||
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