( तर्ज - चाहूंगा मैं तुझे सांझ सबेरे )
कपडे रंगाये , मन ना रंगा है ,
दाढी बढी पर दिल ना बढा है ।
इतनेसे क्या बनेगा ,
इतनेसे क्या बनेगा ? ॥ टेक ॥
प्रभु - प्रेम होगा , नित नेम होगा ,
चारित्र्य अच्छा , अरू ग्यान होगा ।
मीठी बात , होगी साथ , तब तो बने । इतनेसे क्या बनेगा ,
इतनेसे क्या बनेगा ? ॥१ ॥
सेवा बड़ी हो , दीनों दलितकी
सबकी चहा हो , बात हो सतू की ।
इतनेसे क्या बनेगा ,
इतनेसे क्या बनेगा ? ॥२ ॥
करना हो ज्यादा , बातें बड़ी कम ,
खाना जरासा , होना परिश्रम ।
आवे काल बने ढाल , तब तो बने ।
इतनेसे क्या बनेगा ,
इतनेसे क्या बनेगा ? ॥३ ॥
तुकड्या पुकारे , सन्तोंको सारे ,
आया समय हैं , दिलको निहारे ।
मिले मान , तारो जान , तब तो बने । इतनेसे क्या बनेगा ,
इतनेसे क्या बनेगा ? ॥४ ॥
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