स्वागत गीत
( तर्ज - भवसागर तारण कारण है )
हम सेवक हर्षित है दिल से ,
करनेको स्वागत आये है ।
जिनकी थी आस भरी दिलमें ,
उनके दर्शन कर पाये है ॥ टेक ॥
यश गाते थे तुम्हरा जगमें ,
सुनते थे नाम भी जाहिर है ।
वह मंगल समय मिला हमको ,
हम दर्शनलाभ उठाये है ॥ १ ॥
अब सूतकी ( फूलको )
माल पिन्हायेंगे ,
दिल भरके विनय सुनायेंगे |
उपदेश करो हमको अब तो ,
अपनी रग रग फैलाये है ॥ २ ॥
हम जैसे वीर जवानो को ,
तुम्हरा हरदम आशीश रहे ।
आजाद रहे भारत हमरा ,
इस कारण दिल ललचाये है ॥ ३ ॥
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