( तर्ज आया हूं दरबार तुम्हारे . )
ऐसो ग्यान हुआ बिन कामी ॥ टेक ॥
अँखियनसे देखा परदारा ।
परधन पीछे हाथ हमारा ।
यह नहीं ग्यान है ,
बात हरामी ॥ ऐसो . ॥ १ ॥
पाँव चले करनेको चोरी ।
कान सुने निन्दा बलजोरी ।
यह तो मनकी ,
नमक गुलामी ॥ऐसो ॥ २ ॥
मुंह तो गाली बके तज नीती ।
नाक सुंघे विषयनकी प्रीती
यह सब राह ,
नर्क की गामी ॥ ऐसो . ॥ ३ ॥
ग्यान वही सत्संगत पावे ,
आतम रूप नजरमें आवे ।
तुकडया कहे ,
मन हो प्रभु नामी ॥ ४ ॥
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