( तर्ज - ज्योत से ज्योत जगाते चलो . )
दिलकी पुकारोंसे आवोगे क्या ?
प्रेमसे दर्शन दिखाओगे क्या ? ॥ टेक ॥
भूख लगी है उस दर्शन की ,
जिसने बंसी बजाई ।
मोह लियो है मन गोपिन के ,
सुधबुध सब बिसराई ।
हमरी भी प्यास बुझाओगे क्या ?
॥प्रेमसे .॥ १ ॥
उन गोपालों के संग खेले ,
गौयें जात चरायी ।
छाँछ पे नाच नचाई मोहन ,
तूने लाज भुलायी ।
वे क्षण फिर फिर लावोगे क्या ? ॥
प्रेमसे दर्शन ॥ २ ॥
भारत के संकट में तूने ,
चक्र सुदर्शन फेका ।
द्रुपद - सुताकी लाज बचायी ,
टाल दिया सब धोखा ।
अर्जुन - से बीर भिजवावोगे क्या ? ॥
प्रेमसे दर्शन ॥ ३ ॥
आज की हालत सबसे बूरी ,
तेरा नाम न आता ।
धरम करमको खो बैठे हम ,
तुकडयादास सुनाता ।
डूबेगी नांव तराओगे क्या ? ॥
प्रेमसे दर्शन ॥४ ॥
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