( तर्ज मेरी दोस्ती , मेरा प्यार )
चली किश्ती मँजधार ,
चली किश्ती मँजधार ।
रोके रूक ना जाये ,
ये दिल घबडाये ॥
अब कब धीर दिलाये ॥टेक ॥
जग - संसार बहे भरपूर ,
है मल्लाह नशे में चूर
नहीं अब मेरी चले मगदूर
कौन इसे समझायें ?
ये दिल घबडाये ॥ अब ॥ १ ॥
ऊपर बादल भरे घमसान ,
पडी धोखेमें अबके जान ।
छूटा है चारों ओर तुफान !
मोसे रहा ना जाये ,
दिल घबडाये ! ॥ अब ॥ २ ॥
तुकडयादास प्रभु के नाम ,
लेते दिल पाया आराम ।
संकट टले , फले सब काम
सद्गुरु राह बताये ,
ओ धीरज लाये
सब कुछ दुःख भुलाये ॥ ३ ॥
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