( तर्ज मेरी दोस्ती मेरा प्यार . )
मान कहा मेरा मान ,
मान कहा मेरा मान ।
भोगके दिवाने , त्याग नहीं जाने ,
करके ही पाप फँसाये
मान कहा मेरा मान ॥ टेक ॥
जिसने त्याग दिया अभिमान ,
तन मनका मिट गया तुफान ।
उनको पाये प्रभूका ध्यान ,
जो करता है लूट , सरासर झूठ
करके ही पाप फँसाये ,
मान कहा मेरा मान ॥ १ ॥
जिनका सब जीवोंपर प्रेम ,
सेवाका जिसे है नेम ।
उसका ईश्वर चलाये क्षेम ,
यही तो गीता गाये ,
तू जान नहिं पाये ।
करके ही पाप फँसाये ,
मान कहा मेरा मान ॥२ ॥
हरदम कर प्रभूका गान ,
सन्तोंका सुनकर ग्यान ।
तबतो तेरा तरेगा जान ,
करके ही पाप फँसाये ,
तुकडया का सुन बोल ,
बात भई गोल ।
मान कहा मेरा मान ॥३ ॥
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