( तर्ज - ये देखो जला घर किसीका . )
खाली हाथोंसे जाना नहीं है ।
जावो तो लाभ पाना नहीं है ।
राजा - गुरु - ज्योतिषी - वैद्य ये
इनको देनेसे ही यश सही है ॥ टेक ॥
फल - फूल दो दिल - खुशीसे ।
फिर जावो मिलने उन्हीं से ।
बोलो वही बात , झूठी नहीं
समझो , आशा पूरी हो गयी है ॥१ ॥
शक्कर जो दे प्रेम लाये ।
सेवा करे नाम पाये ।
हो भावना , साँचकी याचना
तब तो सब कामना पा गयी है ॥२ ॥
उनका कहा मानना है ।
हटना नहीं प्राण जाये ।
तुकडया कहे याद पूरी रहे
फेर दुःखका ठिकाना नहीं है ॥३ ॥
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