( तर्ज मेरी दोस्ती मेरा प्यार . )
मेरा शत्रू मेरा मन , मेरा शत्रू मेरा मन ।
मन ढूंढे बन - बन , बसे नहीं क्षण ,
चाहे करलूं जतन ॥ टेक ॥
पूरा एक करे नहीं काम ,
इसीसे मैं बड़ा बदनाम ।
हरदम चाहे - मिले आराम ।
माँगे मुफतका धन , सिखे नहीं गुण ,
चाहे करलूं जतन ॥१ ॥
बदलता है घडीमें रंग ,
जो मिलता उसीके संग ।
उसको अपना नहीं है ढंग
मोटी बात सुनाये , करन नहीं पाये ,
चाहे करलूं जतन ॥२ ॥
मन जीते तो जग जीतूं ,
मन बिगडे तो है मृत्यु ।
मनके हारे सभी छी : तू ।
दिलसे तुकडया बोले ,
ये मन अपनाले ,
चाहे करलूं जतन ॥३ ॥
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