' सद्गुरुराज दयाल !
भरोसा अब मुझको तेरा || टेक ||
दरपे आकर बैठा हूँ अब
कुछभि करो मेरा ।
दया - नज़रसे देखो साँई !
हरो जनम - फेरा ॥ १ ॥
तरस रही यह जान हमारी
क्यो करता देरा ?
तुम्हरि कृपाबिन भटक रहा हूँ
नही चुकता फेरा || २ ||
छोड काम दुनियाके सारे
पग तुमरे छेरा
चरणपे मोहे दे जगिया
और तुम गुरु मै चेरा || ३ ||
पाप ताप सब काट करो
मन शान्त करो मेरा
तुकड्यादास आस धर तेरी
हिरदे पग तेरा || ४ ||
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