हमारा प्यारा कहाँपे हारा ?
खोज नहीं क्या छुपा है न्यारा ?||टेक||
मकानढूंडा दुकान ढूंढा
यह देवल सभी निहारा ।
अजब तमाशा बना है उसका ,
कहाँ निकारा वहाँपे सारा ॥१॥
मजीद देखा सजीद देखा
देखलिया सब नदि किनारा
पता नही है कहाँपे बैठा
न है हमारा न है तुम्हारा ||२||
ये दोनों मजहबके टंटे झूठे ,
कहाँका कीन्हा यह ढोंग सारा ?
खुदा खुदीसे जुदा न होवे ,
सभी जगहमें वह राम मेरा ॥ ३ ॥
न उसकी कहाँपे बनी है सूरत ,
वह सूरतीमें बना उजारा ।
वह दास तुकड्याके बैठा दिल में
कहाँ ढुंढोगे बहार सारा ॥ ४ ॥
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