रहे सभीमें वह सबसे न्यारा |
वह हक़से प्यारा रहे हमारा ||टेक||
न किनसे माँगे न कुछभी त्यागे ,
रहे उसीमें करे गुजारा ।
न द्रोह करता न लोभ धरता ,
बना बनाया यह खेल सारा ॥ १ ॥
कभू न जागे कभू न सोवे ,
न दिल खुशी है न द्रोह देखा ।
कहाँ रहे फिर वतन उसीका ,
सभी जगहमें भरा पियारा ॥ २ ॥
न ओढता कुछ न छोड़ता कुछ ,
ग खौंफ धोखा रखे शहूरा ।
न साधनोंकोभी मानता है ,
औ साधनोंसे रहे न न्यारा ॥ ३ ॥
अजब तन्हा इक उसीकी देखी ,
न बेदमी कह सके बिचारा ।
यह दास तुकड्याको आस उसकी ,
जो तीन तालोंसे नैन मोरा ॥४ ॥
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