मेरे किस्मत टूट पडे है क्या,
या मेरा तकदिर घुमा रहा है || टेक ||
न हमने देखा कमीमी तीरथ ,
न हमने पूजी कभीभी मूरत ।
न हमने देखी खुदाकी सूरत ,
बेहाल दिलपर रमा रहा है || १ ||
न साथ लीनी किसोकी संगत ,
कभुं न बैठे किसीकी पंगत ।
हमेशा खाना पीना औ सोना ,
यह ख्याल मनमें जमा रहा है ॥ २ ॥
कभू न कीना धरम - करमको ,
कभू न राखा किसी शरमको ।
बढ़ा रहा हूँ खुदी भरमको ,
औ दुर्जनोंसे नमा रहा है ॥ ३ ॥
कहाँ लगेगा हमें ठिकाना हे यार !
किसकी गलीमें जाना ' ।
वह दास तुकड्या बना दिवाना ,
गुरुचरणको कमा रहा है ॥४ ॥
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