कहाँ बनाऊँ मैं गर्ज अपनी ,
कौन सुने बिन प्रभू ! तुम्हारे ।
सभीके अर्जीपे ख्याल देकर ,
तुम्ही करोगे निकाल सारे ॥ टेक ॥
न बाप भाई दया करेंगे ,
कहे वे स्वारथके गीत प्यारे ।
मुझे तराना किसे पसंद है ,
जो तारता है ये भक्त सारे ॥१ ॥
बडा कठिन है रचा पसारा ,
न प्रेम पलभी लगे तुम्हारे ।
इसीमें मरना है काम मेरा ,
सिखाते अपनीहि राह सारे ॥ २ ॥
कई गये और कई चले हैं ,
न राह अपनी जगह सुधारे । !
हे नाथ ! हमपर करो दया अब ,
त्यजे सभी बस रहे सहारे ॥३ ॥
यह शान शौकत को जाल मेरी ,
लगादो राखहिको अंग मेरे ।
वह दास तुकडया मिला तुहीमें ,
ये अर्ज पेशीमें हैं निछारे ॥ ४ ॥
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