दिल मेरा राजू नहीं यह
शर्म धरने के लिये || टेक ||
गोत हो या पूत हो ,
धनदार हो या यार हो ।
इश्क मेरा श्यामसे ,
वह भर्म हरने के लिये ॥ १ ॥
मान हो अपमान हो ,
नादान हो बलवान हो ।
है नहीं धोखा कोई ,
यह कर्म करने के लिये ॥ २ ॥
नेमकी जरुरत नहीं ,
वह श्याम - जादू के बिना
मन मेरा राजू रहे ,
यह मर्म भरने के लिये ॥ ३ ॥
होगयी दुनिया अलग ,
हमको न पर्बा जानलो |
आस तुकड्याकी यही है ,
नर्म मरने के लिये ॥ ४ ॥
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