खैचलू तसबीर - परदी यार !
तेरे नूरकी ।
क्या बिठाऊँ दिल में अपने
दिलतसल मशहुरकी || टेक ||
क्या छबीले नैन हैं ,
मनको नहीं कुछ चैन है ,
धुंधी चढी उस सूरकी ॥ १ ॥
साथ में गौएँ लगी ,
काली कमलिया ओढ ली ।
तीर जमुनाके खड़ा ,
खूली लहर उस नीरकी ॥
हर जगह मौजूद होकर ,
आपही आगे खडा ।
क्या बदरिया छारही ,
झलके सुरत उस नूरकी ॥ ३ ॥
मोहनी मूरत तेरी ,
कैसे छिपाऊँ किस जगह ?
याद कर एक दीनकी ,
तेरी छटा मामूरकी ॥ ४ ॥
वक्त क्या वह चलगया है ,
ध्यान क्या वह ढलगया ?
प्रीतिका क्या बल गया ,
फिरती न आँख हुजूरकी ॥ ५ ॥
कहत तुकड्या आसरा ,
तेरे बिना अब ना दुजा ।
जो गयी सो चलगयी ,
अब राख जो मशहूरकी ॥ ६ ॥
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