मोहनी मूरत तुम्हारी ,
कब दिखादोगे हमें ?
बीचका परदा हटाने ,
कब सिखावोगे हमें ? । टेक ॥
भुलमें भटके हुए हैं ,
यार ! तेरी राहसे
यादमे तेरी हमेशा ,
कब झुकादोगे हमे || १ ||
छा रही ज्वानी नजर में ,
और दुनियादारकी ।
झूठियों के सहबतोंसे ,
कब टिकादोगे हमें ? ॥ २ ॥
कुछ घडी यह याद है ,
फिर याद भी बरबाद है ।
बरबादिसे आबादकीपर ,
कब टिकादोगे हमें ? ॥ ३ ॥
कल कहूँ या ना कहूँ ,
अब वक्त यह ना खोइये ।
दास तुकड्याकी सुधी ले ,
कब जगादोगे हमें ? ॥ ४ ॥ ॥
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