अव्वलो या आखरीमें ,
क्या खुदाको जात थी ?
थी नहीं अस्माँ - जमीं ,
सब गुमपनेकी बात थी || टेक ||
क्या हुआ क्या ना हुआ ,
इबलीशके सब हाथ थी ।
इबलीशसे दुनिया करी ,
इबलीशसे बरबाद थी ||१||
थी नहीं मसजीद , देवल ,
था भरा भरपूर वह ,
सब एक नुरी साथ थी || २ ||
था नहीं शंकर औ ब्रह्मा
विष्णुकी नहि बात थी ।
था भरा चैतन्यघन ,
सब बादमें आबाद थी || ३ ||
आई किधर जाती किधर ,
अँधियारनकी बात थी ।
कहत तुकड्या कुछ नहीं ,
इक नामकी हुजरात थी ॥ ४ ।।
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