क्या खुदा तुझसे जुदा , प्यारे !
जरा खोलो नजर || टेक ||
ढूंढ़ते साधू हिमाचल
बन बनोंमें जायके ।
पासका हीरा भुला और
पूजते जाके पत्थर ॥ १ ॥
पुस्तकों में क्या भरा ?
पढते मरे पंडीतभी
लाखमें बिरला कोई ,
अमृत पीवे जा अधर ॥ २ ॥
संत - संगत के बिना ,
कोई न देखे खासको ।
धर चरण उसके तभी ,
आती उसे तेरी कदर ॥ ३ ॥
नींद में क्यों भूलते ,
अंधे बने मायीन में ।
दास तुकड्या सद्गुरू के ,
चरणपे धरता यह सर ॥ ४ ॥
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